Priyanka06

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लेखनी प्रतियोगिता -13-Jun-2022 सागर नदी तालाब की दास्तान

रचयिता-प्रियंका भूतड़ा

शीर्षक-सागर ,नदी , तालाब की यह दास्तान

सागर नदी तालाब की , है ये दास्तान
कह रहे अपनी जुबान

क्या समझ रखा है तूने मानव
क्या हम है तेरे गुलाम

हमें बना रखा है कचरे का डिब्बा
जो आता है डाल जाता कचरा

जहां देखो वहां बोटल कचरे का ढगला
प्लास्टिक की थैली ने तो समझ रखा हो बंगला

बहुत सताता  है मानव
अब हो गया हूं तेरे से परेशान

चारों तरफ फैला रखी है गंदगी
मुझ पर चारों तरफ  भिनभिना रही मक्खी

पर्यटक ने देखा नजारा
करने लगे मुझसे अब घृणा

मानव की इस खता से
हो गया हूं मैं खफा

देख इस दृश्य को हे मानव
रो रहा हूं मैं आज

बढ़ रहा है विनाश
त्राहि-त्राहि मच जाएगा, चारों तरफ हे इंसान

प्रकृति कर रही है अब आव्हान
सागर में आएगा जब उफान

कर रहा हूं तुझे आग्रह
अब तू संभल जा मानव

मौत के खौफ से डर अब मानव
शवों का लग जाएगी कतार

चारों तरफ होगा मातम
सिर्फ दिखाई देगा शमशान




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12 Comments

Seema Priyadarshini sahay

15-Jun-2022 06:52 PM

बेहतरीन👌👌

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Khushbu

14-Jun-2022 09:28 PM

बहुत ही सुन्दर

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नंदिता राय

14-Jun-2022 04:09 PM

बहुत खूब

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